जोशीमठ भूधसाव कारण जोशीमठ उत्तराखण्ड मिश्रा कमेटी रिपोर्ट 1976 चमोली Joshimath Chamoli mishra commite isro report Hindi
जोशीमठ उत्तराखण्ड पर मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट पहले चेताया था अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर, तिब्बत व्यापार और धार्मिक रूप से अहम् बद्रीनाथ और श्री हेमकुण्ड साहिब जी
जोशीमठ इतना अहम क्यों ?
जोशीमठ उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले के कर्णप्रयाग से 47 Km. दुरी पर स्थित है जोशीमठ हिमालयी क्षेत्र है जो की समुद्रतल से 2500 से 3050 मीटर की उचाई पर स्थित है जोशीमठ क्षेत्र की सीमा चीन से लगती है साथ ही यह हिन्दुओ और सिख समुदाय के आस्था के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है यहाँ जोशीमठ में ही हिन्दुओं के चारधाम में से एक बद्रीनाथ जी ( भगवान विष्णु ) का शीतकालीन वास स्थान है और यहीं पर आदिगुरू शंकराचार्य को ज्ञान की प्राप्ति हुयी साथ ही यहाँ से बद्रीनाथ और नरसिंह मंदिर के दर्शन आसान हो जाते हैं हर साल यहाँ लाखों की संख्या में पर्यटक पहुचते हैं जो की यहाँ के आम जनमानस के लिए रोजगार का एक साधन भी है |
इससे आपको अंदाजा हो गया होगा की जोशीमठ आस्था के साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से भी जुड़ता है जिससे यह सेना के लिए भी एक अहम पड़ाव है और पर्यटन यहाँ के लोगो के लिए एक मात्र रोजगार का साधन भी है वहीं दूसरी ओर देखा जाय तो पहाड़ से होते लगातार पलायन भी एक समस्या हैं जोशीमठ त्रासदी से लोगो का लगातार स्थानातरण किया जा रहा है जो एक चिंता का विषय बना हुआ है क्योकि रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा हमेशा से पहाड़ की समस्या बनी रही है जिससे सालों से पहाड़ो से लोग खाली होकर शहर की ओर जा रहे हैं और पहड़ों का शांत, सुंदर पर्यावरण छोड़ शहरो की ओर जाने को मजबूर हैं तो दूसरी ओर पहाड़ों को इस तरह रोंधकर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की जा रही जो की प्रलय को न्योता देने के समान है |
जोशीमठ Joshimath word
जोशीमठ शब्द ज्योतिर्मठ का शब्द का अपभ्रंश रूप है जिसे की ज्योतिषपीठ के रूप में भी माना जाता है यहीं पर शंकर भाष्य की रचना हुयी और शंकराचार्य ने ही इस स्थान की स्थापना की थी |
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पहले जोशीमठ और तिब्बत के लोगो के बिच व्यापार होता था परन्तु 1962 के भारत – चीन युद्ध के बाद व्यापारिक कार्य बंध हो गए, भगवान बद्री यहीं जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में शीत ऋतू में भक्तों को दर्शन देते हैं और चमोली जिले में ही श्री हेमकुण्ड साहिब भी हैं |
1976 की मिश्रा कमिटी की रिपोर्ट
7 मई 1976 को तत्कालीन गढ़वाल मण्डल आयुक्त महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में 18 सदस्यों वाली कमेटी ने एक रिपोर्ट पेश की थी जिसे बाद में मिश्रा कमिटी के नाम से जाना गया इस आयोग ने रिपोर्ट के साथ ही 1976 में कुछ भी सुझाव दिए थे जो की निम्न हैं :-
Mishra committe report on Joshimath
- जोशीमठ में भारी कार्यो, ढलानों पर कृषि, पेड़ों की कटाई पर प्रतिबन्ध लगाना जरुरी |
- जोशीमठ रेत और पत्थर के जमाव पर बसा है ये एक टाउनशिप के लिए उपयुक्त नही |
- जोशीमठ भौगोलिक तौर पर अस्थिर इलाका है यहाँ किसी भी तरह की बसाव खतरनाक है|
पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट के अनुसार
मिश्रा कमेटी के सदस्य चंडी प्रसाद भट्ट के अनुसार जोशीमठ भूस्खलन में आये मलबे के ऊपर बसा है शहर में पानी की निकासी के लिए उचिती व्यवस्था होनी आवश्यक है जोशीमठ शहर 10 किमी० लम्बा और तीन किमी० चौड़ा होने के साथ ही तीन सौ मीटर ऊँचा है |
इसरो की रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ क्षेत्र
ISRO report on Joshimath इसरो द्वारा NRSC की वेबसाइट पर के रिपोर्ट साझा की गयी है जिसके अनुसार जोशीमठ में 27 दिसम्बर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच 5.4 सेमी० का भूधसाव हुआ साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की यह धसाव की घटना 2 जनवरी से शुरू हुयी | इस रिपोर्ट की और खबर की वैधता के लिए हम ABP News द्वारा शेयर इस जानकारी के स्क्रीनशॉट को नीचे जोड़ रहे हैं |
चमोली जिले के जोशीमठ की वर्तमान स्थिति
उत्तराखण्ड के चमोली जिले के जोशीमठ में स्थिति अतिसवेंदनशील बनी हुयी है लोगो के घरों, सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़क पर दरारे बढती जा रही हैं आम जनता लगातार सड़कों पर आंदोलित है और लोग हिमालयी क्षेत्र के इतने निकट जहाँ कपा देने वाली ठण्ड होती है पानी जम जाता है हिमशिखर निकट स्थित हैं ऐसे ही अपने घरों पर टेक लगाकर सोने को मजबूर हैं जहाँ लगातार जान का खतरा बना हुआ है और यह किसी बड़ी दुःखद घटना को अंजाम दे सकती है |
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