चमोली उत्तराखण्ड के जिले में भ्रमण हेतू नीचे चमोली जिल्ले के भ्रमण option को देखे✅✅✅
उत्तराखण्ड के 13 जिल्लो में से एक चमोली जहाँ घुमने के लिए अनेको प्रर्यटक स्थल,मंदिर,कुण्ड हैं की जानकारी नीचे बताई गयी है
चमोली जिला भ्रमण कार्यक्रम tourism on Chamoli district
चमोली जिला छेत्रफल की दृष्टि से बहुत बड़ा जिला है अतः नये आये प्रर्यटको को भ्रमण हेतु मंदिर,प्राकृतिक सौन्दर्य,स्थान की जानकारी होना आवश्यक है इस प्रकार की जानकारी आपको गूगल मैप ,टूरिज्म वेबसाइट या उत्तराखण्ड की सरकारी वेबसाइट से भी उपलब्ध कराई जाती है यहाँ हम क्रम से चमोली जिले में घुमने हेतु आपको जानकारी उपलब्ध करायेंगे एवं अन्य उत्तराखण्ड सम्बन्धी जानकारी के लिए Uttrakhandhub के homepage जायें और अपनी पसंद अनुसार नयी जानकारी प्राप्त करें और यदि आपके छेत्र से किसी प्रर्यटक स्थल को आप यहाँ जोड़ना चाहते हैं तो आर्टिकल के अंत में कमेंट करें या हमें [email protected] पर ईमेल करें और किसी भी प्रकार की समस्या या आपातकाल के दौरान 108(एम्बुलेंस) ,100(पुलिस) नंबर पर कॉल कर सकते है |
चमोली उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण जिला है इस जिले के मध्यभाग जहाँ से आप चमोली के किसी स्थान में आसानी से पहुँच सकते हैं वह है कर्णप्रयाग यहाँ से आप नौटी , गैरसैण, जोशीमठ ,ग्वालदम आसानी से आ जा सकते है यह बीच में बसा शहर है |
जब आप भ्रमण कार्यक्रम बना रहे हैं तो नीचे दी हुई जानकारी के अनुसार अपनी भ्रमण योजना बना ले एवं अन्य जानकारी जो की इन्टरनेट पर उपलब्ध है से मिला लें |
- option 1.पाण्डूवाखाल-गैरसैण-कर्णप्रयाग
पाण्डवाखाल अल्मोड़ा(जिला) से जुडा स्थान है जहाँ से करीब 4किमी. की ऊचाई पर भैरवगड़ी मंदिर है यहाँ से आपको गढ़वाल और कुमाऊ का सयुक्त मेल दिखाई देगा इसका कारण पाण्वाडूखाल का बीच में होना है अल्मोड़ा कुमाऊ और चमोली गढ़वाल छेत्र है अतः आप यहाँ अवश्य जाएँ |
इसके बाद मेहलचौरी में हनुमान मंदिर ,माईथान में माईथान मंदिर एवं नजदीक ही झन्कार मंदिर है जहाँ मन्दिर पूरी तरह पत्थरो बना है , सैंजी के निकट शिवालयमंदिर ,गैरसैण में राधाकृष्ण मंदिर ,तब पाण्डवाखाल-कर्णप्रयाग मार्ग पर दूधातोली (रामगंगा नदी उदगम),बैनिताल, चांदपुरगड़ी (राज्जेश्वरी देवी मंदिर एवं गढ़वाल राजा का महल),सिमली में माँ चण्डिका मंदिर, एवं कर्णप्रयाग में कर्णमन्दिर ( दानवीर कर्ण का मंदिर ),पिण्डर अलकनन्दा संगम ,उमा देवी मंदिर, हनुमान मंदिर |
- option 2.कर्णप्रयाग-नौटी
नौटी वह स्थान है जहाँ से एशिया की सबसे लम्बी यात्रा नन्दा देवी राजजात की शुरुआत होती है और यहीं नन्दा देवी राजजात का समापन्न भी होता है यहाँ नंदा देवी से जुड़े अनेको मन्दिर हैं |
- option 3. कर्णप्रयाग-गोपेश्वर
कर्णप्रयाग से निकट लगभग 6 किमी. कालेश्वर मन्दिर है एवं इस मंदिर में पुजारी शिल्पकार होते हैं इसके बाद नंदप्रयाग,कुरुड़ (नन्दा देवी मंदिर), रावण की तपस्थली घाट, बेरासकुण्ड,चमोलानाथ जो चमोली गावं के ईष्ट हैं,और गोपेश्वर पहुँच आप गोपीनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं ( यहाँ त्रिशूल पूरा जोर लगाने पर भी नही हिलता परन्तु सबसे छोटी ऊँगली से ही हिलता है शायद आपको यकीन ना आ रहा हो इसलिए आप एक बार स्वयं आयें )
- option 4. गोपेश्वर-पीपलकोटी
गोपेश्वर से पीपलकोटी जाते समय आप सकलेश्वर मन्दिर,अनुसुईया मन्दिर, अत्रिमुनि आश्रम,फिर चोपता और तुंगनाथ (पंचकेदार में से एक जहाँ पित्रों को तर्पण दिया जाता है) |
- option 5. अब जोशीमठ
उर्गम घाटी में कल्पेस्वर ,देवग्राम ,वंशीनारायण,फ्युलानारायण विश्वकर्मा मंदिर , और सलुड फिर जोशीमठ में आप पहुच जायेंगे यहाँ से स्लीपिंग ब्यूटी , हाथी पर्वत , निकट चीन अन्तर्राष्ट्रीय सीमा, स्थित है ,नरसिंह मन्दिर,नवदुर्गा मन्दिर,तपोवन, भविष्यबद्री, रैणी और औली |
- option 6. अब बद्रीनाथ
भीमपुल,व्यासगुफा, ध्यांनगुफा, श्री बद्रीनाथ ,माणा, जेपी जल विद्युत परियोजना आदि |
- option 7. के बाद
गोविन्दघाट, सतोपंथ,हेमकुण्ड साहिब, लक्ष्मण मन्दिर एवं फूलो की घाटी |
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