Madho singh Bhandari maletha srinagar garhwal veer madho singh story in hindi मलेथा गाँव माधो सिंह भंडारी की वीरता और ऐतिहासिक महत्व

Beer Madho singh Bhandari मलेथा गाँव, उत्तराखंड के सृगार के निकट स्थित एक छोटा सा गाँव है, जो अपने ऐतिहासिक महत्व और मधो सिंह भंडारी की वीरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हम आपको मलेथा गाँव के बारे में संक्षेप में बताएंगे और यहाँ पहुँचने के तरीके के बारे में भी बताएंगे।

Madho singh Bhandari maletha uttarakhand

Madho singh Bhandari

Veer Madho singh Bhandari माधो सिंह भंडारी एक साहसी और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, जिन्हें 1595 में उत्तराखंड के छोटे से गाँव मलेथा में जन्मा था। उनकी वीरता और क्षेत्र को योगदान के लिए उन्हें माना जाता है। उनकी प्रमुख उपलब्धियों में से एक थी भारत और तिब्बत के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा का निर्धारण करना, जिसे मैक-मोहन रेखा के रूप में जाना जाता है। मधो सिंह भंडारी की साहसिकता और त्याग की कथाएँ मलेथा के इतिहास और लोककथाओं में एक अमिट छाप छोड़ गई है, जहाँ वह आज भी सम्मानित और याद किये जाते हैं।

मलेथा गाँव के बारे में About Maletha Village Hindi

स्थान: मलेथा गाँव श्रीनगर से निकट, देवप्रयाग मार्ग पर।

माधो सिंह भंडारी ऐतिहासिक महत्व: मलेथा मलेथा में जन्मे माधो सिंह भंडारी की वीरता के लिए प्रसिद्ध है, जिन्होंने 1595 में जन्म लिया था। माधो सिंह को भारत और तिब्बत के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा, जिसे वर्तमान में मैक-मोहन रेखा के रूप में जाना जाता है, खींचने का काम किया था।

वीरता और बलिदान माधो सिंह भंडारी: माधो सिंह भंडारी को अपनी वीरता और बलिदान के लिए भी जाना जाता है। एक पुरानी कथा के अनुसार, देवी को खुश करने और पानी की प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए, माधो सिंह ने अपने ही पुत्र की बलिदान किया था। उसके बाद से, पानी लगातार बहता रहा है, मलेथा के खेतों को संभालते हुए।

कमलेश्वर मंदिर, पौड़ी गढ़वाल

मलेथा गाँव तक पहुँचने का तरीका Way to Maletha village

  • सड़क के माध्यम से: मलेथा एनएच 58 पर सड़क से पहुँचा जा सकता है। यह सिर्फ 5 किलोमीटर की दूरी पर है  यात्रियों को निकटवर्ती शहरों से टैक्सी या बस किराए पर ले सकते हैं।
  • वायु मार्ग से: मलेथा का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में है, जो लगभग 116 किलोमीटर की दूरी पर है।
  • रेल मार्ग से: मलेथा के निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (लगभग 96 किलोमीटर दूर) और देहरादून (लगभग 137 किलोमीटर दूर) में हैं।

निष्कर्ष: माधो सिंह भंडारी

मलेथा गाँव एक ऐतिहासिक महत्व और एक प्रेरणादायक कहानी के साथ अपनी सान्स्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य की ओर एक प्रमुख धारणा बनाए रखता है। सड़क, ह

वाई और रेल के माध्यम से पहुँचा जा सकता है, मलेथा आगंतुकों को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव प्रदान करता है।

माँ धारी देवी, उत्तराखण्ड

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