kamleswar mandir, Srinagar Garhwal Uttrakhand ✅✅a very famous temple in Uttrakhand कमलेश्वर मंदिर श्रीनगर गढ़वाल Uttrakhand
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Srinagar garhwal |
Kamleswar mandir Srinagar Garhwal कमलेश्वर महादेव श्रीनगर गढ़वाल
कमलेश्वर मंदिर पौड़ी Kamleswar mandir Pauri जिले के श्रीनगर शहर में बसा हुआ मंदिर है कमलेश्वर मंदिर श्रीनगर गढ़वाल का सर्वाधिक पूजा जाने वाला मंदिर है मंदिर के लिए सड़क से एक छोटी रोड जाती है जो मंदिर के गेट पर जाकर खत्म होती है मंदिर प्राचीन सुंदर सौन्दर्य से परिपूर्ण है यहाँ शिवरात्रि , मेले के दौरान और सोमवार को भक्तो की भीड़ लगी होती है मंदिर से जुड़ी अनेक कथाएं है तथा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ( Shankaracharya ) ने करवाया था तथा बाद में मंदिर परिसर की देखभाल राजवँश द्वारा की गई।
Kamleswar Temple origin Story कमलेश्वर मंदिर की स्थापना से सम्बन्धित इतिहास
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view of vaikunth mela |
Kamleswar Temple origin Story कमलेश्वर मंदिर की स्थापना मान्यता है की देवता असुरों से युद्ध में परास्त होने लगे तो भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र प्राप्त करने के लिये भगवान शिव की आराधना की ! उन्होंने उन्हें 1000 कमल फूल अर्पित किये प्रत्येक अर्पित फूल के साथ भगवान शिव के 1,000 नामों का ध्यान किया।भगवान शिव ने एक फूल को छिपा दिया भगवान विष्णु ने जब जाना कि एक फूल कम हो गया तो उसके बदले उन्होंने अपनी एक आंख (कमल पुष्प) चढ़ाने का निश्चय किया उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान कर दिया, जिससे उन्होंने असुरों का विनाश किया।
तथा एक दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के प्रायश्चित हेतु भगवान शिव ( shiv ) को 1000 पुष्प अर्जित किये जिस कारण मंदिर का नाम कमलेश्वर मंदिर पड़ा।
कमलेश्वर मंदिर वैकुण्ठ चतुर्दशी मेला Kamleswar mandir vaikunth chaturdashi mela
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At the time of vaikunth mela |
भगवान विष्णु ( vishnu bhagwan )ने कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के चौदहवें दिन सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था, इसलिये बैकुंठ चतुर्दशी का उत्सव यहां बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इसी दिन संतानहीन माता-पिता एक जलते दीये को अपनी हथेली पर रखकर खड़े रहकर रात-भर पूजा करते हैं। और माना जाता है दिये को हाथ पर रखकर पूजा करने से श्रधालुओ को अवश्य ही संतान प्राप्ति होती है इस दिन सभी श्रद्धालु खड़े रहकर पूजा करते हैं जिस कारण इसे खड रात्रि भी कहा जाता है !
मान्यता है की भगवान श्रीकृष्ण ( shri krishna ) ने स्वयं इस मंदिर पर अपनी पत्नी जामवंती ( jamvati ) के आग्रह पर इस प्रकार की पूजा की थी।
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pic of vaikunth mela |
History of kamlewar temple in hindi कमलेश्वर मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि इस मंदिर ( Temple ) का ढ़ांचा देवों द्वारा आदि गुरु शंकराचार्य की प्रार्थना पर तैयार किया गया, जो उन 1,000 मंदिरों में से एक है जिसका निर्माण रातों-रात गढ़वाल ( Garhwal ) में हुआ था! मूलरूप में यह एक खुला मंदिर था जहां 12 नक्काशीपूर्ण सुंदर स्तंभ थे संपूर्ण निर्माण काले पत्थरों से हुआ है जिसे संरक्षण के लिये रंगा गया है यहां का शिवलिंग ( shiv ling ) स्वयंभू है तथा मंदिर से भी प्राचीन है। कहा जाता है कि गोरखों ( Gorakha ) ने इस शिवलिंग को खोदकर निकालना चाहा पर 122 फीट जमीन खोदने के बाद भी वे लिंग का अंत नहीं पा सके। तब उन्होंने क्षमा याचना की और गढ़ढे को भर दिया तथा मंदिर को यह कहकर प्रमाणित किया कि मंदिर में कोई तोड़-फोड़ नहीं हो सकती अन्य प्राचीन प्रतिमाओं में एक खास, सुंदर एवं असामान्य गणेश की प्रतिमा है! वे पद्माशन में बैठे है, एक कमंडल हाथ में है तथा गले से लिपटा एक सांप है। ऐसी चीजें जो उनके पिता भगवान शिव से संबद्ध होती हैं।
कमलेश्वर महादेव Kamleswar mhadev
वर्ष 1960 के दशक में बिड़ला परिवार ने इस मंदिर को पुनर्जीवित किया तथा इसके इर्द-गिर्द दीवारें बना दी मंदिर के बगल में बने भवन भी उतने ही पुराने हैं तथा छोटे-छोटे कमरे भूल-भुलैया जैसे हैं और प्रत्येक कमरे से दूसरे कमरे में जाया जा सकता है जिसे घूपरा कहते है।
कहा जाता है कि जब गोरखों का आक्रमण हुआ तो प्रद्युम्न शाह (King prdyuman shah) यहीं किसी कमरे में तब तक छिपा रहा जब तक उन्हें सुरक्षित अवस्था में उन्हें बाहर ना निकाल लिया गया मंदिर के पीछे का वर्गाकार स्थल का इस्तेमाल रामलीला ( Ramleela ) के लिये होता रहा है।
कमलेश्वर महादेव मंदिर का संरक्षण protetion of kamleswar mandir or preservation of kamleswar mandir in hindi
संपूर्ण निर्माण काले पत्थरों से हुआ है, जिसे संरक्षण के लिये रंगा गया है मंदिर को पंवार राजाओं का संरक्षण प्राप्त था एवं स्थानीयों की श्रद्धा ने मंदिर को और अधिक सँवारा है हर साल मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है जिससे स्थानीय ही नही बल्कि शासन प्रशासन भी मंदिर के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
बोलो कमलेश्वर महादेव की जय
जय बाबा कमलेश्वर
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Jai ho 🙏🙏
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वैकुंठ मेले से एक – दो दिन पहले आना होगा आपको रजिस्ट्रेशन के लिए
रजिस्ट्रेशन के लिए कमलेश्वर मंदिर समिति होती है