सुरकंडा देवी शक्ति पीठ मां सती – शिव से जुड़ा है मंदिर इंद्रदेव स्कन्द पुराण केदारखण्ड Surkanda devi Temple, Tehri Garhwal Shakti peeth
मां सुरकंडा देवी, टिहरी गढ़वाल में स्थित खास पौराणिक मंदिर जहां मां सती का सिर सुदर्शन से कटकर गिरा था आज यही जगह जानी जाती है शक्ति पीठ के रूप में
Surkanda devi temple सुरकंडा देवी मंदिर
सुरकंडा देवी मां सती के शरीर के अंश जिस स्थान पर गिरा था उसी स्थान पर स्थित है जिस कारण यह स्थान शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है सुरकंडा देवी मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है तथा मंदिर बेहद सुंदर चारों ओर से सुंदर पहाड़ियों से घिरा हुआ है जिस कारण यहां आने वाले लोगों की संख्या में बेहद वृद्धि हुई, साथ ही यहां से जुड़ी पौराणिक कहानियां भी है जो कि देवराज इन्द्र से जुड़ी हुई हैं।
दर्शन के लिए महत्वपूर्ण दिन सुरकंडा देवी Surkanda Devi sight
मां सुरकंडा देवी मंदिर सालभर भक्तों के लिए खुला रहता है परन्तु नवरात्रि के समय मां के दर्शन की विशेष मान्यता होती है, एवं यहां गंगा दशहरा के समय विशेष मेला लगता है जो मई से जून के बीच लगता है स्थानीय लोग मंदिर में विशेष आस्था रखते हैं जिस कारण यहां सालभर भीड़ लगी रहती है।
photo by sunil singh ji |
सुरकंडा देवी मार्ग Way to Surkanda Devi
सुरकंडा देवी मंदिर टिहरी जनपद के जौनपुर में स्थित है जौनपुर में सुरकुट पर्वत है जहां पर सुरकंडा देवी मंदिर समुद्र तल से लगभग तीन हजार मी. की उच्चाई पर स्थित है।
सुरकंडा देवी मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है जिसके लिए सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए आपको पहले टिहरी जिले में पहुंचना होगा, टिहरी तक पहुंचने के लिए आपको जिलेवार रास्ता तय करना होगा जिसकी जानकारी नीचे दी गई है
देहरादून से टिहरी Dehradun – Tehri
देहरादून – ऋषिकेश – टिहरी
कुमाऊं से टिहरी Kumaon – Tehri
कुमाऊं – अल्मोड़ा – चमोली – रुद्रप्रयाग – पौड़ी – टिहरी
सुरकंडा देवी मंदिर से जुड़ी पूर्ण कथा ancient story of Surkanda Devi Hindi
कनखल नगरी हरिद्वार के नरेश राजा दक्ष द्वारा यज्ञ के दौरान बेटी सती के पति महादेव शिव को ना बुलाने पर सती यज्ञ हो रहे स्थान पर पहुचती है और पिता से वाद विवाद होने पर यज्ञ में प्राणों की आहुति दे देती है यह बात जब महादेव शिव को पता चलती है तब शिव क्रोधित हो तांडव करने लगते है और राजा दक्ष का सर धड़ से अलग कर देते है ।
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माँ सुरकंडा देवी Maa surkanda devi
तदउपरांत शिव सती का शव कन्धे पर धर तांडव जारी रखते है यह तांडव इतना भयंकर होता है कि पूरी सृष्टि कापने लगती है जिसे देख देवी देवता जग रक्षक विष्णु के पास चलते है और पूरा व्याख्यान सुनाते है जिसे सुन विष्णु जी को आभाष होता है कि जब तक शिव के पास शव रहेगा तब तक उनका क्रोध शांत न होगा अतः शव को शिव से दूर करना पड़ेगा!
और इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से शिव की अर्धांगिनी के शरीर के टुकड़े करने लगते है और शरीर के सुदर्शन चक्र से 51 भाग हो जाते है और ये भाग जहाँ-जहाँ गिरे उन स्थानों को शक्तिपीठ Shakti Peeth कहा जाता है
जिनमे से एक माँ सुरकंडा देवी, टिहरी गढ़वाल का भव्य मंदिर है, जिन्हें एक अन्य नाम सुरेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है।
इस जगह पर माँ का सिर गिरने की वजह से इस स्थान को सुरकंडा देवी मन्दिर Surkanda Devi कहते है।
मां सुरकंडा देवी मंदिर से जुड़ी अन्य कहानी Another story of Surakanda Devi tehri
मां सुरकंडा देवी से जुड़ी एक अन्य कहानी यह भी है जिसका वर्णन केदारखंड व स्कन्द पुराण में भी है यहीं देवराज इन्द्र ने अपने देव सिंघासन जाने के बाद मां काली से सिंघासन के लिए मन्नत की थी जिसके बाद देवराज इन्द्र को उनका सिंघासन वापिस मिल गया था ।
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सुरकंडा देवी जानकारी Surakanda devi Hindi
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