महाभारत का लाक्षाग्रह देहरादून लाखामंडल मन्दिर हनोल महासू देवता Lakhamandal temple hanol lakshagrah mahabhrata mandir in uttarakhand jounsar bawar
लाखामंडल मन्दिर स्थिति Lakhamandal Mandir Location
लाखामंडल मन्दिर से सम्बंधित इतिहास History of Lakha Mandal Temple
Devaria Tal
मन्दिर सम्बंधित मान्यता Temple related stories of lakhamandal
- नजदीकी स्थानो में कहा जाता है, की लाखामंडल मन्दिर की यात्रा करने पर पाप धुल जाते हैं और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है मन्दिर के अन्दर पैरो के निशान हैं जिनके की माँ पार्वती के पैरो के निशान माना जाता है|
- मन्दिर के पीछे की तरफ दो द्वारपाल हैं जिनमे से एक का हाथ कटा हुआ है परन्तु हाथ क्यों नही है इस सम्बन्ध में जानकारी नही है कहा जाता है की यदि इन दो द्वारपालों के समक्ष किसी मृत व्यक्ति के शरीर को रख उस पर पवित्र जल छिड़का जाता है तो वह मृत शरीर कुछ समय के लिये जीवित हो जाता है और जीवित होने पर उसे गंगाजल प्रदान करने पर वह शरीर पुनः मृत हो जाता है |
- मन्दिर को महाभारत, रामायण से जोड़कर भी देखा जाता है जिससे सम्बन्धित तथ्य निम्न हैं|
पौराणिक कथा old story of Temple Lakhamandal
महाभारत काल का लाक्षाग्रह जहाँ पांड्वो को मारने के लिये दुर्योधन ने यह लाक्षागृह बनवाया था परन्तु पांडव इस स्थान से बच निकलने में सफल हो गये थे, महाभारत काल में जैसा की बताया गया है की पांड्वो ने बचने के लिये एक गुफा का इस्तेमाल किया था वह गुफा भी यहाँ आज भी मौजूद है यह गुफा चित्रेश्वर नाम से जानी जाती है और यह गुफा लाखामंडल गांव से लगभग 2 किमी. की दुरी पर खुलती है |
यहाँ पुराने शिवलिंग इत्यादी देखेने को आज भी मिलते हैं जिनमे से काले व नीले रंग के शिवलिंग विशेष है इनमे से नीला शिवलिंग कृष्ण अवतार द्वापर युग से सम्बंधित है जबकि लाल रंग का शिवलिंग त्रेता युग राम अवतार से सम्बन्धित है |
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