मकर संक्रान्ति या घुघुतिया उत्तराखंड में उत्तरायणी मेला और सूर्यदेव का सबन्ध  makar Sankranti Ghughutiya uttrakhand story related to surya dev

मकर सक्रान्ति उत्तराखण्ड में विशेष रूप से मनाया जाता है जिसे घुघुतिया या सग्रान भी कहा जाता है इस दिन उत्तराखण्ड में एक मेला जिसे उत्तरायणी मेला कहते हैं आयोजित होता है, एवं यही नही यह दिन विशेष महत्व रखता है जो की सूर्य देव से भी सबन्धित है नए साल का पहला पर्व

makar sakranti or ghughutiya मकर संक्रान्ति या घुघुतिया

मकर सक्रांति  या घुघुतिया उत्तराखंड में ही नहीं देश के कई राज्यो और नेपाल में भी मनाया जाता है जहां 14 जनवरी को यह मकर संक्रान्ति या घुघुतिया मनाया जाता है वहीं पंजाब, हरियाणा में यह एक दिन पहले मनाया जाता है जबकि साल 2021 में यह विशेष महत्व रखता है जिससे इसका महत्त्व और भी बड़ जाता है |

importance:- यह दिन बड़ा ही शुभ माना जाता है और नए साल में पहला त्यौहार है इसीलिए इस दिन बहुत से लोग अपने अनेक कार्य शुरू करते हैं, आज के दिन से सूर्य की किरणे पृथ्वी पर सीधी पड़ने लगती है जिस कारण गर्मी की शुरुवात होने लगती है।
हालांकि ध्यान देने वाली बात है की दिसम्बर माह से दिन बड़े और राते छोटी होने लगती हैं परंतु गर्मी की शुरुवात आज के दिन से ही होता है।

अन्य नाम मकर सक्रान्ति Makar sakranti other name

  • उत्तरायणी Utrayani
  • मकर सक्रान्ति Makar sakranti
  • घुघुतिया Ghughutiya
  • खिचड़ी सग्राद Khichdi sakrant
  • मरोज त्यौहार maroj tyohar
  • गिंदी मेला Gindi mela

मकर सक्रांति या घुघुतिया क्यों मनाते हैं why we celebrate makar sankranti or ghughutiya

माना जाता है कि इस दिन सूर्य महाराज अपने पुत्र से मिलने जाते हैं जोकि मकर राशि के स्वामी हैं जिस कारण इस त्योहार को मकर संक्रान्ति के नाम से भी जाना जाता है।
आज के दिन दान , स्नान किया जाता है देश की बड़ी एवं पवित्र नदियों में इस दिन स्नान किया जाता है तथा माना जाता है कि इस दिन दिया गया दान सौ गुना होकर वापस आता है।

मकर संक्रान्ति या घुघुतिया का महत्व importance of makar Sankranti or ghughutiya

यह एक विशेष दिन होता है जिसका कारण पौराणिक एवं असल जिन्दगी से भी है पौराणिक में यह सूर्य और पुत्र मिलन का दिन है जिसे भारत, सहित अनेक देशो में अनेक रूपों में मनाया जाता है परन्तु उत्तराखण्ड में यह दिन एक खास दिन के रूप में मनाया जाता है जिसे उत्तरायणी का दिन या सक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है, एवं उत्तराखण्ड के कई हिस्सों में इस दिन मेले का आयोजन किया जाता है जिसे विख्यात उत्तरायणी मेले के रूप में जाना जाता है  |

एवं इस दिन की अन्य रूप में मान्यता इसलिये भी महत्वपुर्ण हो जाती है क्योकि साल का सबसे छोटा दिन भले ही दिसम्बर में 20, 21, या 22 को आता हो परन्तु सूर्य की रोशनी में तपीस इसी दिन यानि सक्रान्ति से आनी शुरू होती है और इस दिन से ही सूर्य उत्तरायण (धनु राशि) से मकर राशि में प्रवेश करता है।

उत्तराखण्ड में मकर संक्रान्ति या घुघुतिया के अलग – अलग नाम different name of makar Sankranti in uttarakhand

उत्तराखण्ड में मकर सक्रान्ति को दो विशेष नामो से जाना जाता है जिसे  घुघुतिया या उत्तरायणी कहा जाता है इस दिन को विशेष मानकर सूर्य पूजा की जाती है जबकि इस नाम को अधिकतर या हिंदी में मकर संक्रान्ति के रूप में जाना जाता है|
मकर सक्रान्ति या घुघुतिया को उत्तराखण्ड के कुमाऊ में घुघुतिया के नाम से मनाया जाता है जबकि उत्तराखण्ड के गढ़वाल में मकर सक्रान्ति को उत्तरायणी के नाम से मनाया जाता है और इस दिन मेले का भी आयोजन होता है जिसे उत्तरायणी मेले के रूप में जाना जाता है |

उत्तराखण्ड में उत्तरायणी पर विशेष importance of uttarayani in uttarakhand

उत्तरायणी उत्तराखण्ड के विशेष त्योहारों में आता है इस त्योहार को गढ़वाली में और कुमाऊ भाषा में सगरान कहा जाता है, इस दिन उत्तराखण्ड के लोग जल्दी उठकर स्नान कर पकवान बनाते हैं और घर को विशेष प्रकार से सजाया जाता है और घर की साफ़ – सफाई की जाती है और यह दिन उत्तराखण्ड के लोगो के लिए विशेष आस्था का प्रतीक माना जाता है इस दौरान उत्तराखण्ड में कुछ स्थानों में मेले का आयोजन भी किया जाता है |

घुघुतिया से सम्बन्धित जानकारी information related to Ghughutiya

इस आर्टिकल में हमने आपके साथ घुघुतिया सबन्धी जानकारी शेयर की है जो की उत्तरायणी या मकर संक्रांति के रूप में भारत ही नही अनेक देशो में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और यदि आपके पास आर्टिकल सम्बन्धी अन्य कोई जानकारी है तो आप हमे ईमेल या कमेंट कर जानकारी प्रदान कर सकते हैं |
हमे ईमेल करने के लिये क्लिक करें
भगवान श्री राम और दिवाली का सम्बन्ध क्लिक करें

Leave a Reply

We use cookies to ensure that we give you the best experience on our website.

You cannot copy content of this page