Tungnath temple Rudraprayag uttarakhand Highest temple Of Shiva तुंगनाथ मंदिर सबसे अधिक उचाई पर स्थित Tungnath India Mahabharat Pandawas पांडव निर्मित

Tungnath Mandir ✅ तुंगनाथ मंदिर
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तुंगनाथ महादेव मन्दिर Tungnath mahadev mandir

तुंगनाथ महादेव  का विख्यात मंदिर है जिसे तृतीय पंचकेदार के नाम से भी जाना जाता है प्राय: तुंगनाथ मंदिर पंचकेदारो में से एक है माना जाता है यदि आप उत्तराखण्ड में स्थित सभी पंचकेदारो के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले शरुआत यहीं से अर्थात तुंगनाथ मंदिर से करनी चाहिये , यह वही स्थान है जहाँ पांड्वो ने अपने पूर्वजो को तर्पण देकर उनकी मुक्ति की कामना की थी एवं इस मंदिर को पांड्वो ने ही बनाया था जिसकी वजह महाभारत युद्ध में पांड्वो द्वारा मारे गये सगे – सम्बन्धी थे |
महाभारत युद्ध के पश्च्यात एक दिन श्री कृष्ण द्वारा जब पांड्वो को कहा की पांड्वो द्वारा धर्म के पक्ष में युद्ध किया गया परन्तु इसमें उनके सगे सम्बन्धी और गुरुजनों की हत्या हुई है जो की पाप ही है इससे मुक्ति हेतु उन्हें महादेव की आराधना करनी चाहिये |
जिसके पश्च्यात पांड्वो ने महादेव को प्रसन्न करने हेतु पंचकेदारो को निर्माण किया गया था तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड ही नही विश्व मे सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित महादेव का मंदिर है
  • आइये आपको अवगत कराते हैं मंदिर से और जानते हैं तुंगनाथ मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य!

तुंगनाथ मंदिर Tungnath Temple 

तुंगनाथ विश्व मे सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का मंदिर है इस मंदिर के दर्शन करने उत्तराखंड ही नही विश्वभर से श्रद्धालु आते है |

तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग Tungnath Mandir Rudraprayag

  • Name of Temple – Tungnath
  • District – Rudraprayag
  • State – Uttrakhand
  • county – India
  • Temple is of – God Shiva
तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग Tungnath Mandir Rudraprayag
Rudraprayag

Path for Tungnath india तुंगनाथ मन्दिर का रास्ता

तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग  ज़िले में स्थित है मंदिर तक पहुचने के लिए नजदीकी हवाई मार्ग देहरादून में है (परिवहन को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा हवाई यात्रा शायद जल्द ही गौचर से शुरू की जा सकती है वर्तमान में कई बार गौचर से हवाई यात्रा गौचर से शुरू की जा चुकी है कृपया जब आप यात्रा करें समाचार या नजदीकी ट्रेवल एजेंसी से इसकी जानकारी ले लें की हवाई यात्रा चालू है या नही )
फ़िलहाल हमेशा कार्यरत नजदीकी हवाई मार्ग देहरादून से है और रेल मार्ग कोटद्वार एवं ऋषिकेश ,देहरादून,रामनगर से हैं, इनके उपरान्त आपको रुद्रप्रयाग ज़िले में पहुचना होगा जहां से आप आसानी से चोपता पहुच सकते है जिसके बाद आपको सड़क से मंदिर तक पहुचने के लिए पैदल मार्ग से होते हुये चलना होगा |
chopta rudraprayag चोपता रुद्रप्रयाग

सड़क से तुंगनाथ मन्दिर तक Trek to Tungnath Temple

तुंगनाथ मंदिर  सड़क से पैदल लगभग 3-4 किमी. लम्बा है जो बहुत ही ज्यादा खड़ी चढ़ाई है परंतु यह खड़ी चढ़ाई आपको तब सब भूला देगी जब आप प्रकृति के सौंदर्य को देखेंगे और मन को हर लेने वाली शांति से आप अवगत होंगे रास्ते जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे आप मौसम में हुए परिवर्तन को महसूस कर पायेंगे मौसम परिवर्तन उचाई वाले स्थानों पर निचले स्थानों की तुलना में अधिक तीव्रता से होता है ( अपने साथ रेन सूट / Rain suit) अवश्य ले जायें, इसके कुछ समय बाद आपका साथ पेड़ – पौधे भी छोड़ देंगे क्योकि मंदिर बहुत अधिक उचाई पर है अतः अधिक ऊचाई पर ऊचे वृक्ष नही पाये जाते बल्कि बुग्याल शुरू हो जाते हैं ।

बुग्याल प्रायः वह स्थान होता है जहाँ पर पेड़ नही पाये जाते केवल घास या छोटी झाड़ियाँ ही पायी जाती हैं | यहाँ रास्ता खडनजो से बना है जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे पुराने समय के गांवों में बना रास्ता हो, रास्ते को घोड़ो द्वारा भी चढ़ा जा सकता है और घोड़े वाले रास्तो पर आसानी से मिल जाते है जो आपको सवारी करने के लिये भी जरुर कहेंगे इसके लिये आपको कुछ पैसे देने होंगे और लकड़ी अपने साथ तो पक्का ले जायें क्योकि मन्दिर के लिये ऊचाई अधिक है अतः आपको लकड़ी से सहायता मिलेगी, अगर आप घर से लकड़ी नही ले गये तो कोई बात नही यहाँ आपको बांस की लकड़ी बेचने वाले मिल जायेंगे।

तुगंनाथ मंदिर मौसम Weather of Tungnath Temple

तुंगनाथ मंदिर  अधिक ऊंचाई पर होने की वजह से यहाँ मौसम ऐसे बदलता है जैसे फिल्मी मूवी मे…!
हो सकता है अभी आपको यह बात कुछ हजम ना हुयी हो परन्तु जब आप यहाँ जायेंगे आपको यकीन हो जायेगा अच्छा यही होगा की आप साथ मे रैन सूट या छाता ले जाये यहाँ 5 मिनट के लिए बारिश, तो 5 मिनट के लिए सर्दी और 5 मिनट के लिये बहुत ही तेज़ धूप लगती है |
यह हमने स्वयं अनुभव किया जब हम बैठे थे और धूप लगी तो ऐसा लगा जैसे धूप जला ही देगी आपको यकीन नही आया होगा परन्तु यह सच है अगले ही 5 मिनट में मौसम कैसे बदला ?
यह हम भी नही समझ पाये की बहुत तेज़ ठण्ड होने लगी और अगले कुछ मिनट में ही वर्षा होने लगी फिर कोहरा भी लग गया सच में यह अलग ही अनुभव था आप भी ऐसा ही अनुभव करेंगे जब आप तुंगनाथ मंदिर के दर्शन के लिये आयेंगे, सच कहूं तो मैने इतना घना कोहरा कभी नही देखा था।

तुंगनाथ मंदिर मार्ग से दृश्य View from Tungnath temple

तुंगनाथ मंदिर मार्ग से दृश्य View from Tungnath temple
Clicked from Tungnath trek
तुंगनाथ मन्दिर की ओर अब आगे बढ़ते है और दृश्य की बात करते है यहाँ मार्ग में ऐसे बहुत सी जगह मिलेंगी जहां से दृश्य देखकर आपको लगेगा जैसे स्वर्ग इसी स्थान पर हो और आप स्वर्ग की ओर ही बढ़ रहे हैं आगे बढ़ते हुए अनेक श्रद्धालु आपको सेल्फी लेते हुये दिखेंगे और आप भी लेने पर मजबूर हो जायेंगे मन्दिर से पूर्व ऐसी अनेक जगह हैं जहाँ से आनन्द का अनुभव करेंगे |
मंदिर पहुचने पर आपको ऊँचाई, शान्ति और मंदिर का जो दृश्य अनुभव देगा उसे आप जीवन में कभी भुला नही पायेगे और आपको भी एहसास होगा की आखिर भगवान् शिव इन जगह पर रहना क्यों पसन्द करते हैं ?

तुंगनाथ मन्दिर किसने बनाया था Tungnath temple build by

तुंगनाथ मंदिर  का निर्माण पाण्ड्वो द्वारा भगववान शिव को प्रशन्न करने के लिए बनाया गया था मन्दिर अत्यधिक सुन्दर है तथा यह समुन्द्र तल से 3460 मीटर की ऊचाई पर स्थित है तथा माना जाता है की तुंगनाथ मंदिर  पाण्ड्वो द्वारा 1000 वर्ष पूर्व बनाया गया गया था |

तुंगनाथ मंदिर की यात्रा का समय when to travel for Tungnath Temple

तुंगनाथ मंदिर की यात्रा कभी भी की जा सकती है परन्तु मई से नवम्बर का समय यात्रा के लिए उचित माना जाता है एवं आवश्यक सुचना भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल में मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ में विराजमान होते हैं जहाँ तुंगनाथ महादेव के दर्शन किये जा सकते हैं यह स्थान अत्यधिक ऊचाई पर है इसलिये यहाँ ठण्ड बढ़ने पर बर्फ गिरना आम बात है सेलानी बर्फ का लुत्फ़ उठाने अक्सर ठण्ड बढ़ने पर चोपता में पहुचते हैं |
tungnath temple तुंगनाथ मंदिर

Temple view 

Myth about Tungnath India  तुंगनाथ की कथा

तुंगनाथ मंदिर के साथ प्रायः पाण्डवो की कहानी जुड़ी है जिसके अनुसार महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्री-कृष्ण ने कहा था हे ! पाण्डवो
तुमने युद्ध धर्म के पक्ष में अवश्य किया है परंतु तुमने अपने सगे भाई ,दादा,मामा सहित अनेक के प्राण हरे है परन्तु यह पाप ही है अतः तुम्हे इस पाप से मुक्ति भगवान शिव ही दे सकते है जिसके बाद पाण्डुओ ने भगवान शिव को प्रसन्न करने और दर्शन लेने के लिए पंचकेदार का निर्माण किया गया था।

Tungnath Temple Panch Kedar तुंगनाथ मंदिर पंचकेदार

पंचकेदार प्रायः भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बनाए गए मंदिर हैं जिनमे से एक तुंगनाथ मन्दिर है, तुंगनाथ को तृतीय केदार के नाम से जाना जाता है तथा माना जाता है की यदि आप पंचकेदारो के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले तुंगनाथ महादेव की ही यात्रा करनी चाहिये।

तुंगनाथ मंदिर चन्द्रशिला Tungnath temple chandrasila

तुंगनाथ मंदिर  से ऊपर चंद्रशिला स्थित है जहाँ शायद पित्रो को तर्पण दिया जाता है। ( तर्पण से तातपर्य पित्रो की आत्मा से शांति के लिए की जाने वाली प्रार्थना है ) और यहीं पाण्डुवो ने अपने पित्रो को तर्पण दिया था और आज यहां लोग (पिठु खेल / चुंडो खेल  के समान ) पत्थर एक के ऊपर रखकर तर्पण दिया करते है।
chandra sila tunganth चन्द्रशिला तुंगनाथ
chandra sila 

रावण शिला / स्पीकिंग माउंटेन Ravan shila / Speaking mountain

रावण शीला या स्पीकिंग माउंटेन नाम की यह जगह भी तुंगनाथ मन्दिर के चन्द्र शिला से जुडी है, रावण शिला और स्पीकिंग माउंटेन नाम जितना रोचक-सा प्रतीत होता है उतना ही रोचक इस जगह का रोचक इतिहास भी है |
रावण शिला रामायण काल से जुडी जगह है रावण शिला को स्पीकिंग माउंटेन के नाम से भी जाना जाता है यह शिला प्रभु श्री राम और रावण से जुडी है कहा जाता है की प्रभु श्री राम को रावण वध का दुःख भी था क्योकि रावण अपने आप में विद्वान और पंडित और शिव भक्त भी था रावण वध के बाद प्रभु राम ने ब्रहम हत्या के पाप से बचने (जो की पण्डित / विद्वान) की हत्या के बाद लगता है शिव को प्रसन्न करने के लिये तप किया था और भगवान शिव से ब्रहम हत्या से मुक्क्त करने का अनुरोध किया था |
रावण शिला स्पीकिंग माउंटेन Ravan shila Speaking mountain
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पंचकेदारो ( तुंगनाथ महादेव ) का महत्व Importance of Panchkedar ( Tungnath Mahadev )

पंचकेदारो का निर्माण पांड्वो ने किया जो की भगवान शिव को प्रशन्न करने के लिये और पापो से मुक्ति हेतु किया था अंत में पाण्ड्वो को भगवान शिव के दर्शन हुये और पाण्ड्वो को उनके पापो से मुक्ति मिली जो की पाण्ड्वो द्वारा महाभारत युद्ध में किये गये थे |

तुंगनाथ महादेव से सम्बन्धित जानकारी Information related to Tungnath Mahadev

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