भारत के राष्ट्रिय गान जन गण मन का अर्थ हिंदी में national anthem meaning in hindi✅✅ jan gan man adhinayak meaning in hindi rastriya gan meaning
राष्ट्रीय गान जन गण मन का हिंदी में अर्थ
राष्ट्रीयगान का हिंदी में अर्थ
राष्ट्रिय गान कब और किसने लिखा था National anthem Jan Gan Man who written
पंडित रविंद्रनाथ टैगोर की कलम से लिखे राष्ट्रगान जन गण मन को यूनेस्को की ओर से विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान करार दिया गया, जो बहुत गौरव की बात है। भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ मूलतः बांग्ला भाषा में लिखा गया था, जिसे भारत सरकार द्वारा 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में अंगीकृत किया गया। इसके गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड निर्धारित है और जब राष्ट्रगान गाया या बजाया जाता है तो श्रोताओं को सावधान की मुद्रा में खड़े होना आवश्यक है।
बेनीताल
बहुत कम लोगों को पता है कि राष्ट्रगान जन गण मन में लिखे एक-एक शब्द का मतलब rear people know the meaning of National anthem Jan Gan Man
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
पंजाब-सिन्ध-गुजरात-मराठा द्राविड़-उत्कल-बंग
विन्ध्य-हिमाचल, यमुना-गंगा उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा
जन-गण-मंगलदायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय-जय-जय, जय हे
राष्ट्रगान में हिंदी में National anthem meaning In Hindi
जन-गण-मन-अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जन गण के मन में बसे उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
उनका नाम सुनते ही पंजाब सिन्ध गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल
विंध्य हिमाचल जमुना गंगा उच्छलजलधितरंग
विन्ध्य, हिमाचल व यमुना और गंगा से हिन्द महासागर (जलधि ) तक उत्साह की तरंगें उठती हैं
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जयगाथा ।
सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठते हैं, सब तुझसे पवित्र आशीष पाने की अभिलाषा रखते हैं
सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं ।
जन-गण-मंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे,जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ॥
जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता !
विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो ॥
राष्ट्रगान जन गण मन के अन्य पद Other part of National anthem Jan gan man
पतन-अभ्युदय-वन्धुर-पंथा
युग-युग धावित यात्री
हे चिर-सारथी
तव रथचक्रे मुखरित पथ दिन-रात्रि
दारुण विप्लव-माँझे
तव शंखध्वनि बाजे
संकट-दुख-श्राता
जन-गण-पथ-परिचायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय-जय-जय, जय हे
घोर-तिमिर-घन-निविड़-निशीथ
पीड़ित मूर्च्छित-देशे
जागृत दिल तव अविचल मंगल
नत-नत-नयन अनिमेष
दुस्वप्ने आतंके
रक्षा करिजे अंके
स्नेहमयी तुमि माता
जन-गण-मन-दुखत्रायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय-जय-जय, जय हे
रात्रि प्रभातिल उदिल रविच्छवि
पूरब-उदय-गिरि-भाले
साहे विहंगम, पूर्ण समीरण
नव-जीवन-रस ढाले
तव करुणारुण-रागे
निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा
जय-जय-जय हे, जय राजेश्वर
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय-जय-जय, जय हे
अहरह तव आह्वान प्रचारित सुनि तव उदार वाणी
हिंदु बौद्ध सिख जैन पारसिक मुसलमान खृस्तानी
आपका आह्वान सतत प्रसारित हो रहा है और सब उस उदार वाणी को सुन रहे हैं
सभी हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी, मुसलमान और इसाई
पूरब पश्चिम आसे, तव सिंहासन पासे
प्रेमहार होय गाँथा
पूर्व और पश्चिम से आकर, आप के सिंहासन के पास
प्रेम हार जैसे गूंथे हैं
जन-गण-ऐक्य-विधायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे,जय हे,जय हे,जय जय जय जय हे ॥
जनगण की एकता के नायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता !
विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो ॥
पतन-अभ्युदय-बंधुर पन्था,युग युग धावित यात्री
हे चिरसारथि,तव रथचक्रे मुखरित पथ दिनरात्रि
उत्थान पतन मिश्रित जीवन पथ पर युग युग से दौड़ते यात्री
हे अनादि रथी, आपके रथ के पहियों से ही प्रकाशित है पथ के दिन रात
दारुण विप्लव माँझे तव शंखध्वनि बाजे
संकट-दुःखत्राता
दारुण विप्लव के मध्य आप की शंख ध्वनि बजती है
जो संकट और दुखों से मुक्त करती है
जन-गण-पथ-परिचायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे,जय हे जय हे,जय जय जय हे॥
जनगण के पथ प्रदर्शक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता !
विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो ॥
घोरतिमिरघन निबिड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेषे
मध्यरात्रि की नीरवता के घनघोर अंधकार में मूर्छित और पीड़ित पड़ा देश
जाग्रत हुआ आपके अविचल मंगल निर्निमेष नत नयनों से
दुःस्वप्ने आतंके, रक्षा करिले अंके
स्नेहमयी तुमि माता
दुःस्वप्न और आतंक में अपने गोद में लेकर हमारी रक्षा करते हैं
आप स्नेहमयी माता के समान हैं
जन-गण-दुःखत्रायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे,जय हे,जय हे,जय जय जय हे ॥
जनगण के दुःख मोचक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता !
विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो ॥
रात्रि प्रभातिल उदिलो रविच्छवि पूर्व-उदयगिरिभाले
गाहे विहंगम पुण्य समीरण नव जीवन रस ढाले
रात्रि बीत चुकी और सूर्य पूर्व में उदयगिरी के भाल पर आ गया है
पक्षी गा रहे हैं और पवित्र वायु नव जीवन का अमृत उड़ेल रही है
तव करुणामय रागे, निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा
आप के करुणामय राग से सोया हुआ भारत जाग गया है
और आप के चरणों में अपना शीश झुकाए है
जय जय जय हे जयराजेश्वर भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे,जय हे, जय जय जय हे ॥
राजेश्वर तेरी सदा सर्वदा विजय हो, हे भारत के भाग्यविधाता !
विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो ॥