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में तेजपात की cinnamomum tamala nees & eberm कृषि तकनीक और भी बहुत कुछ अन्य नाम दालचीनी

Tejpatta

tejpatta

तेजपात कृषिकरण तकनीक tejpatta agriculture

साधारण नाम – तेजपात, दालचीनी
व्यापारिक नाम – तेजपत्ता

वैज्ञानिक नाम  cinnamomum tamala nees & eberm सिनेमोमस तमाला
कुल – लोरेसी
शक्तिमत्ता – तीत्र सुगन्ध (लोंग की तरह) के
प्रयुक्त भाग – तने की छाल व पत्तियां ह

प्रमुख सक्रिय संघटक तेजपत्ता

पत्ती एवं लिनेलूल, लिमोनीन, साइमिन, कैरियोफाइलिन एवं सिनेमिक एल्डीहाइड आदि सक्रिय संघटक होते हैं ।

एलोवेरा

भूमि और जलवायु दालचीनी

तेजपात के कृषिकरण के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमें आद्रता तथा जीवांश की अधिक मात्रा होती है, उपयुक्त मानी जाती है जिन क्षेत्रों में ओसतन तापमान 5″C से 30’0 डिग्री तथा औसतन वार्षिक वर्षा 50 से 250 सेमी0 होती है बहाँ कृपिकरण आसानी से किया जा सकता है।

प्रवर्धन और प्रसारण दालचीनी

तेजपात का प्रव॑धन तथा प्रसारण बीजों तथा कलमों द्वारा किया जाता है लेकिन बीजों और कलमो द्वारा अधिक उपयुक्त ओर लाभकारी होता है।

दालचीनी की फसल अवधि

तेजपात एक बहुवर्षीय फसल है, लेकिन तेजपात पौध रोपण के उपरांत तीन व चार वर्षों में 50 से 60 वर्षों तक फसल प्राप्त की जाती है |  दालचीनी ऊंचाई– तेजपात के कृषिकरण के लिए समुद्र तल से 900 से 2200 मी0 की ऊंचाई उपयुक्त होती है।

तेजपत्ता  दूरी- तेजपात के पौध रोपण के लिए गढ़ढ़ो का निर्माण 45 सेमी0 * 45 सेमी0 * 45 सेमी0 तथा पौध से पौध 10 से 10 फीट पर रोपित की जाती है।

दालचीनी पौध संख्या- तेजपात के कृषिकरण के लिए यदि पौधे की दूरी 40 फीट से 40 फीट रखी जाय तो प्रतिनाली 22 पौधे तथा
प्रति हैक्टेयर 00 पौध की आवश्यकता होती है। सिंचाई ,निराई-गुडाई एवं खरपतवार नियंत्रण- तेजपात की सिंचाई सप्ताह में दो बार अवश्य करनी पडती है क्योकि इसको आद्रर्ता की आवश्यकता होती है। रोपण के 8 वर्षो तक 2 से 3 माह के अन्तराल में निराई-गुडाई तथा
खरपतवार नियन्त्रण उत्पादन के लिए अति आवश्यक है।

दालचीनी औसत उत्पादन– एक पौधे से 9 से 9 किग्रा0 तक पत्तियां प्रतिवर्ष एकत्र की जाती है एग्रो फोरेस्ट्री के तहत भी इन्हे
उगाया जाता है। 35 किग्रा0 तेल/है0 प्राप्त किया जा सकता है।

  • बाजार दर – रु0 १4-40 प्रति किग्रा0 उच्च गुणवत्ता से प्राप्त होता है।
  • आय-व्यय का विवरण
  • कूपिकरण लागत – रु0 77,500 प्रति है0
  • कुल आय -4,00,000 प्रति है0
  • शुद्ध लाभ -रु0 3,2 ,500 प्रति है0

यह आर्टिकल जड़ी – बूटी शोध एवं विकास संस्थान के पूर्व प्रकाशित पत्र से लिया गया है एवं इस जानकरी को प्रसारित करने का उद्देश्य लोगो तो जानकरी को पहुचना है और जागरूकता है न की किसी प्रकार का स्वामित्व है यदि आपको इस आर्टिकल से किसी प्रकार की समस्या है या आप कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमें ईमेल कर सकते हैं हमें मेल करने के लिए क्लिक करें या कमेंट करें

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