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alovera

Alovera घृतकुमारी

साधारण नाम घृतकुमारी, ग्वारपाठा
व्यापारिक नाम घृतकुमारी
वानस्पतिक नाम Aloe Vera, (L.)Burm. f.
एलो वीरा
कुल लिलिएसी
शक्तिमता शीतकर और स्वाद में कड॒वा
प्रयुक्त भाग. पत्ते

 

प्रमुख सक्रिय संघटक घृतकुमारी

घृतकुमारी तथा इससे निकलने वाले पदार्थ एलुआ में ‘एलोइन’ नामक ग्लुकोसाइड्स का समृह पाया जाता है। एलोइन के अतिरिक्त इसमें के एलो-इमोडिन, एलोयटिक एसिड
होमोनेटोलियन एलोइसिन, इमोडिन कायजमिनिक एसिड पाए जाते है।

औषधीय उपयोग एलोवेरा

घृतकुमारी का खूनी अतिसार, पेशाब सम्बन्धी रोगो, मुँहासे तथा फोड़े फुन्सियों, जलन, खुजली तथा कीड़े काटने , सर्दी तथा खासी आदि के उपचार में प्रयोग होता है।

भूमि और जलवायु एलोवेरा

घृतकूमारी कृषिकरण के लिए हल्की रेतीली दोमट तथा भारी दोमट मिट्टीयोँ जिसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो तथा 6.5 से 5.5 पी.एच. वाली भूमि ज्यादा उपयुक्त होती है। घृतकुमारी के पौधे के लिए गर्म आर्द्र से अर्ध शुष्क तथा उष्ण कटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है वैसे सामान्य शुष्क जलवायु ज्यादा उपयुक्त होती है |

प्रवर्धन एवं प्रसारण एलोवरा

घृतकुमारी का प्रवर्धन तथा प्रसारण जड़दार, सकर्स अथवा जड़दार पौधे जैसे साईट हिलर्स अथवा बीजों द्वारा किया जाता है।

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फसल अवधि एलोवेरा

घृतकुमारी एक बहुवर्षीय फसल है लेकिन बिजाई क॑ लगभग एक वर्ष बाद ग्वार पाठा के पत्तों की कटाई की जाती है। काटने के उपरान्त पौध पर पुनः पत्ते आ जाते है जिन्हे अगले वर्ष काटा जा सकता है । इस प्रकार यह फसल 4-5 वर्ष तक अच्छी उपज दे सकती है।

ऊंचाई एलोवेरा के लिए

घृतकुमारी के कूषिकरण के लिए 350-१500 मी0 की उंचाई उपयुक्त होती है।

रोपण समय एलोवेरा

घृतकुमारी का पौध रोपण वर्ष मे कभी भी की जा सकती है परन्तु वर्षा की ऋतु के वाद का समय
सितम्बर-अक्टूबर माह इसके लिये सर्वाधिक उपयुक्त पाया जाता है। पौध रोपण घृतकुमारी के कृषिकरण में पौध से पौध के बीच की दूरी 40-40 सेमी रखी जाय तो 250 पीध/नाली तथा 62500 पौध/है0 की आवश्यकता होती है।

सिंचाई ,निराई-गुडाई एवं खरपतवार नियंत्रण एलोवेरा

घृतकुमारी के पौधो के लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है लेकिन बिजाई के उपरान्त एक हल्की सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है यदि महीने में एक वार सिंचाई की व्यवस्था हो सके तो पौधे में जेल की मात्रा में पर्याप्त बढोत्तरी होगी, तथा इसका उत्पादन अधिक होगा। घृतकुमारी धीरे-धीरे बढ़ने वाला पौधा है इसलिए बिजाई के प्रथम वर्ष में खेत में खरपतवार की अधिक सम्भावना होती है। वैसे घृतकुमारी के खेत की निराई-गुडाई एक नियमित अंतराल मे करनी चाहिए ।

  • फसल कटाई – विजाई के लगभग एक वर्ष बाद घृतकुमारी कटाई के लिए उपयुक्त होता है।

औसतन उत्पादन एलोवेरा

एलोवेरा / घृतकुमारी औसतन उत्पादन 250 – 4500 कि0ग्रा0 हरे पत्ते तथा 62,500-75,000 कि0ग्रा0
होता है। बाजार दर  से घृतकुमारी के हरे पत्ते का बाजार दर 5-7 रु0 प्रति कि0ग्रा0 होता है ।

आय-व्यय का विवरण एलोवेरा

  1. क्रूषिकरण लागत प्रति है0- रु 42,500 प्रति है0
  2. कुल लाभ रु० -रु3,2,500 प्रतिहे0..
  3. शुद्ध लाभ -रु2,70,000 प्रतिहै0

यह आर्टिकल जड़ी – बूटी शोध एवं विकास संस्थान के पूर्व प्रकाशित पत्र से लिया गया है एवं इस जानकरी को प्रसारित करने का उद्देश्य लोगो तो जानकरी को पहुचना है और जागरूकता है न की किसी प्रकार का स्वामित्व है यदि आपको इस आर्टिकल से किसी प्रकार की समस्या है या आप कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमें ईमेल कर सकते हैं हमें मेल करने के लिए क्लिक करें या कमेंट करें

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