माँ पाथावार नन्दा देवी गैरसैंण अन्य नाम नन्दा ठोंकी 84 से अधिक गांवो की ईष्ट देवी भण्डारा, पूजा अर्चना नारायणबगड़ Maa Pathavaar nanda devi gairsain other name Nanda thonki nanda mela gairsain trekking in gairsain
पाथावार नन्दा देवी गैरसैण जिन्हें अन्य नाम नन्दा ठोंकी के नाम से स्थानीय लोग पुकारते हैं आज भी लोग अपनी मन्नतें लेकर पहुचते हैं 12 से 15 खड़ी चढाई पर चाहे बालक की मन्नत हो या सुख समृधि की यहाँ से कोई भक्त खाली नही जाता आज भी लोग जंगल में अपने छप्परों में निडर रहकर जीवन व्यतीत करते हैं |
पाथावार नन्दा देवी Pathavaar Nanda devi
पाथावार नन्दा देवी को अन्य नाम नन्दा ठोंकी के नाम से भी जाना जाता है माँ का यह पावन पवित्र मन्दिर उत्तराखण्ड की ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैण में एक बेहतरीन स्थान है जो की ट्रैकिंग करने वाले लोगो के लिये बेहद ही रोमांचक अद्भुत दृश्य लिये इन्तजार कर रही है गैरसैण से पैदल साथ में सुन्दर और खड़ी चढाई पर भक्तों के विश्वास में कोई कमी नही भक्त रस्ते में जयकारे और प्रकृति का आनन्द लेते हुये आगे बढ़ते हैं और अपनी विशेष श्रद्धा का परिचय देते हैं पाथावार नन्दा देवी का यह मन्दिर शहरी जीवन से अलग जंगल के बीचों – बीच है जो की लगभग सडक मार्ग से लगभग 12-15 किमी की दुरी पर स्थित है, पाथावार नन्दा माँ को भगवती के रूप में जाना जाता है यह यात्रा हर वर्ष शुरू होती है जो की नन्दा ठोंक पर्वत पर माँ पाथावार नन्दा के मन्दिर में समाप्त होती है जहाँ लोग इस मौसम में होने वाली फसल, फल – फूल इत्यादि भेंट करके कामना करते हैं |
पाथावार माँ नन्दा के दर्शन के लिये दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं जिनमे बधाण गढ़ी, नागचुला, खनसर, कुनीगाढ़ और साथ ही नारायणबगड से भी लोग आते हैं आपको बता दें नारायणबगड़ गैरसैंण से बिलकुल अलग है जो की सड़क मार्ग से लगभग 120 किमी की दुरी पर है परन्तु यहाँ के लोग भी माँ नन्दा के दर्शन के लिये जंगल के रास्ते आते हैं |
माँ नन्दा ठोंकी सड़क मार्ग Way to Maa Nanda thonki
पाथावार माँ नन्दा देवी के मन्दिर तक पहुचने के लिये आपको उत्तराखण्ड से चमोली जिले तक पहुचना होगा जिसके बाद आप आसानी से गैरसैण तक पहुंच सकते हैं गैरसैण उत्तराखण्ड राज्य के बीचों-बीच स्थित है जिस वजह से यदि आप कुमाऊ या गढ़वाल किसी भी मण्डल से होते हुये आयें आपको लगभग समान दुरी तय करनी होगी सड़क मार्ग से आप गैरसैंण तक पहुचेंगे जिसके बाद आपको पैदल जंगल के रास्ते होकर जाना होगा जहाँ से आप पाथावार माँ नन्दा देवी या नन्दा ठोंकी के मन्दिर तक आसानी से पहुंच पायेंगे |
यदि आप चाहे तो नारायणबगड़ से भी आ सकते हैं परन्तु हमारी यात्रा गैरसैंण से शुरू हुयी थी जिस कारण हम गैरसैंण से होकर जाने वाले रास्ते से अवगत करा रहे हैं
उत्तराखण्ड – चमोली जिला – गैरसैण – पैदल – माँ पाथावार नन्दा देवी मन्दिर
नन्दा ठोंकी में खान पान की व्यवस्था Food service in Nanda thonki
माँ नन्दा ठोंकी मन्दिर सडक मार्ग से बहुत अधिक दुरी पर है और रास्ते में दुकाने नही है जिससे रास्ते के बीच के बीच के लिये आपको स्वयं से व्यवस्था करनी होगी जबकि जात यानि की यात्रा के दिन मन्दिर समिति द्वारा मन्दिर में खान पान की पूरी व्यवस्था रहती है, परन्तु अधिक ऊचाई पर होने के कारण पानी की कमी होती है अतः आप पानी की व्यवस्था भी अवश्य कर लें |
पाथावार माँ नन्दा देवी मन्दिर से जुडी कुछ जानकरी Pathavaar maa Nanda devi temple information
पाथावार माँ नन्दा देवी या नन्दा ठोंकी से जुडी जानकारी गौरव गैड़ी जो की स्थानीय निवासी होने के साथ – साथ मन्दिर पुजारी के ही गांव से हैं ने बताया की :-
माँ पाथावार नन्दा देवी मन्दिर से जुडी मान्यता
पाथावार माँ नन्दा के इस मन्दिर से जुडी अनेक मान्यताये हैं कहा जाता है की जो भी माँ पाथावार के मन्दिर में आता है खाली हाथ नही जाता, यहाँ लोग संतान की मन्नत लेकर भी आते हैं, कहते हैं की जब भी क्षेत्र में बारिश की कमी या अतिवृष्टि हो जाती है तो माँ नन्दा के पास जाकर मन्नत मांगी जाती है साथ की माँ नन्दा के मन्दिर के नजदीक ही धातु से बनी चैन है जिसे लेकर कहा जाता है की इस चैन के यहाँ होने से जंगल में किसी प्रकार की हानि किसी भी पालतू पशु को नही होती एवं आज भी यहाँ अनेक लोग जंगल में साधारण जीवन शहरी भाग-दौड़ से दूर व्यतीत करते हैं तथा देवी-देवता उनकी रक्षा करते हैं |
माँ नन्दा देवी से जुड़े दो पक्ष हैं जिनमे एक पक्ष मायका और दुसरा पक्ष ससुराल पक्ष का है पाथावार माँ नन्दा का मन्दिर बहुत पुराना है जिसकी पूजा अर्चना स्थानीय लोग और क्षेत्रीय लोग करते हैं माँ के दो मन्दिर मुख्य रूप से हैं जिसमे एक मन्दिर गैरसैंण में है जिसे मायका पक्ष के रूप में जाना जाता है दूसरा पक्ष ससुराल पक्ष है जो की गैरसैंण से दूर जंगल की तरफ है |
मायका पक्ष :- पाथावार माँ नन्दा के मायके के रूप में गैरसैंण में माँ नन्दा का मन्दिर है जहाँ पर की हर वर्ष माँ नन्दा
अष्टमी के रूप में मेले का आयोजन होता है जिसे देखने के लिये आसपास के लोग काफी अधिक मात्रा में पहुचते हैं यह मन्दिर सडक से नजदीक टैक्सी स्टैंड के नजदीक में है जहाँ से आप माँ नन्दा के दर्शन कर सकते हैं |
ससुराल पक्ष :- माँ नन्दा की हर वर्ष जात यानि की यात्रा का आयोजन किया जाता है जिसमे मूल रूप से माँ नन्दा को विदा किया जाता है माँ नन्दा की इस यात्रा में तीन पढ़ाव पड़ते हैं जिसमे चार मन्दिर सम्मिलित हैं
पहला पढ़ाव : हित देवता Hit devta
माँ पाथावार नन्दा गैरसैंण के मायके से ससुराल पक्ष की ओर जाते हुये सबसे पहले हित देवता का मन्दिर पड़ता है जो की रास्ते के ऊपर की ओर है यहाँ पर लोगो द्वारा अनेक मक्के और केले चढ़ाये जाते हैं यहाँ पर हिमंत गैडी जी जो की स्थानीय पुजारी हैं ने बताया की यह हित देवता का मन्दिर है एवं हित देवता माता के भाई के रूप में जाने जाते हैं यह स्थान माँ पाथावार नन्दा का के पहले पढ़ाव के रूप में भी जाना जाता है जब आप माँ नन्दा के मन्दिर की ओर जायेंगे तो बीच में पड़ने वाले सारे मन्दिर आपको पेड़ों के नीचे ही मिलेंगे हित देवता मन्दिर की फोटो नीचे जोड़ी गयी है |
दुसरा पढ़ाव : गुलनंदा और घण्डियाल देवता Gulnanda and Ghandiyal Devta
गुलनंदा और घण्डियाल देवता के दो मन्दिर हैं जो की पास-पास बने हैं एवं बेहद बड़े पेड़ों के नीचे हैं जिन्हें देखकर यह साफ़ पता लगता है की पेड़ बहुत अधिक पुराने हैं यहाँ पर भक्तों द्वारा माता के दर्शन करने जाते हुये मक्के एवं फल चढ़ाये जाते हैं |
तीसरा पढ़ाव : भैरव नाथ Bhairaw nath
भैरव नाथ का यह मन्दिर रास्ते के ठीक बगल में है तथा इसके बाद आपको रास्ते में आगे बढ़ना होगा जहाँ से आपको चारों ओर वादियाँ दिखाई देंगी यहाँ से आगे का स्थान इतनी ऊचाई पर है की यहाँ से चारों ओर कोहरा लगा रहता है और प्रकृति की सुन्दरता दिखाई देती है बीच – बीच में आपको यहाँ छोटे – छोटे मैदानी दिखाई देंगे जो की देखने में बेहद आकर्षक लगते हैं |
ब्यासी लाटू देवता मल्ली स्यूणी
नन्दा ठोंकी मन्दिर सम्बन्धी सुझाव Suggestion related to nanda thonki
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