उत्तराखण्ड में कार्तिक स्वामी का मंदिर कहानी Kartik swami mandir rudraprayag Uttrakhand best temple in rudraprayag kartik swami
कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग में स्थित मंदिर अपना पौराणिक महत्त्व साथ ही भगवान शिव से जुडी है कथा, कार्तिक स्वामी रुद्रप्रयाग
kartik swami कार्तिक स्वामी
कार्तिक स्वामी का यह पवित्र मंदिर उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग में कनकचौरी गांव के निकट क्रोध पर्वत पर स्थित है उत्तराखण्ड को देवभूमि माना जाता है जहाँ देवी देवताओ के अनेको मंदिर हैं यहाँ पंचबद्री , पंचकेदार , पंचप्रयाग स्थित हैं तथा एक ही देवी-देवता के अनेको मंदिर स्थित हैं परन्तु फिर भी कार्तिक स्वामी जो की शिव के जयेष्ट पुत्र हैं उनका केवल एक ही मंदिर है जानकर आश्चर्य होता है ऐसा क्यों ?
आपको इस मंदिर की कहानी सुनकर बहुत ही ख़ुशी होगी इसका कारण यह है की आपने इस मंदिर से जुडी कथा कभी न कभी किसी न किसी रूप में अवश्य सुनी होगी परन्तु स्थान व मंदिर का नाम पता ना होने के कारण आपको इस स्थान का पता नही चल पाया |
चलिए आपको इस स्थान , मंदिर व यहाँ से जुडी कथा से अवगत कराते हैं
कार्तिक स्वामी Kartik Swami
कार्तिक स्वामी भगवान शिव के जयेष्ट पुत्र हैं जिन्हें दक्षिण भारत में मुरुगन स्वामी के नाम से भी जाना जाता है व इन्ही के छोटे भाई का नाम गणेश जी है कार्तिक जी का मंदिर रुद्रप्रयाग में स्थित है व इस मंदिर का नाम कार्तिक स्वामी है |
यह मंदिर काफी ऊचायी पर स्थित है परन्तु मंदिर के निकट तक वाहन द्वारा पहुचा जा सकता है जिसके बाद लगभग २ किमी. की पैदल चढाई के बाद आप मंदिर तक पहुच जायेंगे |
कार्तिक स्वामी मंदिर से जुडी कथा के अनुसार story related to kartik swami temple
मंदिर तक पहुचने के लिए आपको भले ही २ किमी. पैदल चड़ना पड़े लेकिन आप जैसे-जैसे उपर की ओर जायेंगे प्राकृतिक नजारे आपके इन्तजार में कुछ इस प्रकार इन्तजार कर रहे होंगे की आपको थकान का अनुभव नही होगा |
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कार्तिक स्वामी मंदिर kartik swami Temple story in hindi
पौराणिक कथा अनुसार एक बार जब भगवान शिव के दोनों पुत्र कार्तिकेय व गणेश के बीच जब विवाद हुआ की दोनों में से प्रथम पूजा कौन करेगा तब इसे सुलझाने के लिए देव ऋषि नारद ने भगवान शिव को कहा क्यों न दोनों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की जाए जो भी दोनों में से प्रतियोगिता जीतेगा वह प्रथम पूजा करेगा और दोनों के बीच का विवाद भी सुलझ जाएगा जिससे भगवान शिव इस बात से सहमत हो गये और दोनों के बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया |
प्रतियोगिता के अनुसार दोनों को ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाना होगा जो भी पहले ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर आएगा वह पहले पूजा कर सकेगा |
यह सुनकर कार्तिक kartik जी ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने के लिए जल्दी से अपनी सवारी मोर पर बैठे निकल पड़े ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने , परन्तु गणेश जी यह सुनकर सोच में पड गये यदि वे अपनी सवारी से ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करें तब वे यह प्रतियोगिता से बाहर हो जायेंगे |
इसके बाद उन्हें एक विचार आया पूरा ब्रह्माण्ड तो माता-पिता में है यदि वे अपने माता-पिता की ही परिक्रमा कर ले तो वह परिक्रमा ही ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के बराबर होगी जिसके बाद उन्होंने माता-पिता की परिक्रमा की और इसे देख शिव अति प्रसन हुए और गणेश जी को पहले पूजा करने का अधिकार प्राप्त हुआ |
परन्तु दूसरी ओर कार्तिक ब्रह्माण्ड का चक्कर लगा रहे थे जिन्हें मह्रिषी नारद द्वारा पूरी बाद बताने पर वे नाराज हो गये जिसके बाद वे यहीं क्रोध पर्वत पर आये ( यह पर्वत उत्तराखण्ड के रूद्रप्रयाग में स्थित है ) और यहाँ तपश्या की , और माना जाता है की यहाँ आने से पूर्व उन्होंने अपना मास माँ पार्वती और हड्डी शिव को सौप यहाँ आ गये तभी से माना जाता है की आज भी यहाँ कार्तिकेय जी विराजमान हैं और यहाँ समय-समय पर भंडारा और मेला आयोजन किया जाता है |
कार्तिक स्वामी मंदिर आने का उचित समय When visit at Kartik swami temple
“kartik swami temple hindi” मंदिर बारह महीने भक्तो के लिए खुला रहता है आप समय अनुकूल रुद्रप्रयाग से यहाँ आसानी से आ जा सकते हैं |
यदि आपके मन में किसी प्रकार के प्रश्न हैं आप अपने प्रश्न कमेंट कर पूछ सकते हैं या हमे मेल या अन्य दी गयी सम्पर्क जानकारी से संपर्क कर पुछ सकते हैं |
धन्यवाद
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