हिलजात्रा पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड में मुखौटा पहन घूमता लखिया प्रिय गण है उसका, हिलजात्रा का इतिहास हिन्दी में कुमोड़ गांव इंद्रजाला नेपाल Hiljatra uttarakhand nepal festival pithoragarh
हिलजात्रा पिथौरागढ़ दो शब्दों से मिलकर बनी है हिल+जात्रा जिससे जुड़ी कुछ कहानियां है जो सीधा नेपाल से जुड़ते हैं उत्तराखण्ड में लखिया भूत को सभी जानते हैं पर लखिया भूत से जुड़ी जानकारी
हिलजात्रा Hiljatra
हिलजात्रा उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में मनाई जाती है यहां के कुछ गांव हैं जैसे कुमोड़, सतगढ़, बाजेती, डीडीहाट, अस्कोट, सीरा।
हिलजात्रा दो शब्दो से मिलकर बना है हिल और जात्रा जहां हिल का अर्थ कीचड़ और जात्रा का अर्थ है समूह में यात्रा,
हिलजात्रा का मुख्य आकर्षण Main attraction Hiljatra festival
हिलजात्रा एक अनूठी जात्रा है जिसमें महाकाली, हिरन चित्तल, लखिया भूत होते हैं यह उत्तराखण्ड राज्य में मनाई जाती है जिसके पीछे भी एक रोचक कथा है साथ ही ढोल- दमऊ, नगाड़ा, भंकोर इस यात्रा में चार चांद लगा देते हैं।
यात्रा के दौरान रोपाई वाली स्त्रियां और भजन मण्डली ही मुखौटा नहीं पहनती हैं।
हिलजात्रा कब और क्यों मनाते हैं ? when hiljatra being celebrated
हिलजात्रा को गोर- महेश्वर त्यौहार के आठ दिन बाद भादो के महीने में मनाया जाता है।
हिलजात्रा मनाने के पीछे का कारण फसल है स्थानीय लोग इस त्यौहार के दौरान कामना करते हैं की उनकी फसल अच्छी हो, दूसरे शब्दो में कहे तो रोपाई – जुताई, भालू, बैल, हल लगाने वाले, घोड़िया चौकीदार, स्थानीय देवी देवताओं की कथाओं को नाटकीय ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।
लखिया भूत Lakhiya bhoot
लखिया भूत को भगवान शिव का प्रिय गण माना जाता है कहा जाता है कि लखिया भूत जब क्रोधित होते हैं तो उन्हें काबू करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
लखिया भूत काले वेश में आठ रस्सियों से बंधा होता है जिसके मुंह पर बेहद डरावना मुखौटा होता है पीठ पर त्रिशूल बना भयंकर दिखाई देता है लखिया भूत का इंतजार पूरी जात्रा में सभी लोग कर रहे होते हैं लखिया भूत की फोटो चित्र में जोड़ी गई है।
हिलजात्रा से जुड़ी कथा Story of Hiljatra hindi
हिलजात्रा की अपनी बेहद रोचक कथा है साथ ही हिलजात्रा को नेपाल में भी मनाया जाता है जहां इसे इंद्रजाला के नाम से जाना जाता है कहते हैं की हिलजात्रा (उत्तराखण्ड) इंद्रजाला (नेपाल) का आपस में सम्बन्ध है जिसे जुड़ी कथा है
कहा जाता है कि चार महर भाईयो पर ही इस यात्रा का आयोजन किया है जो कि कुमौड में ही इस यात्रा का आयोजन किया जाता है
कहा जाता है कि एक बार जब चारों भाई नेपाल यात्रा पर गए थे तब वहां पर यह यात्रा इंद्रजाला के रूप में मनाई जाती थी जिसमे बलि प्रथा प्रचलित थी परन्तु वहां पर भैंसा था उसके सींग पीछे की गर्दन तक मुड़े हुए थे जिस वजह से भेेसे को काटना मुश्किल हो गया था इस पर महर भाईयो ने राजा से आज्ञा मांगी की वे एक बार में ही इस भेसे को काट देंगे राजा से आज्ञा मिलने पर महर भाईयो ने दिमाग लगाया
और घास को मंगवाया भेसे को घास ऊपर की ओर दिखाया फिर क्या था भेंसे ने ऊपर देखा और महर भाईयो ने एक बार में ही भैंसे की बलि दे दी जिस पर राजा खुश हो गए जिसके बाद राजा से महर भाईयो ने उनसे अपने क्षेत्र में इस त्यौहार को मानने की आज्ञा मांगी और साथ ही कुछ मुखौटे भी मांगे जिससे वे इस यात्रा को मना पाएं तबसे हिलजात्रा पिथौरागढ़ में मनाई जाती है।
महर भाईयो से जुड़ी अन्य कथा other story of Mehar brothers
इन चार महर भाईयो ने तब एक बेहद खतरनाक नरभक्षी शेर को मार गिराया था जिस पर राजा ने इन्हे मुंह मांगा ईनाम दिया था ईनाम में राजा से महर भाईयो में से सबसे बड़े भाई ने चन डाक पर्वत से दिखाई देने वाली सारी भूमि को ही मांग लिया था, जिसे बाद में चारों भाइयों ने बराबर बांटा था जिसके हिस्से में जो जगह आयी उन जगहों के नाम पर चारों भाईयो के नाम पर पड़े।
हिलजात्रा से जुड़े अन्य सुझाव Suggestions for Hiljatra
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