लाटू देवता ब्यासी मल्ली स्यूणी गैरसैण का पौराणिक मन्दिर आज भी जहाँ लोग बिताते हैं जंगलो में जीवन यहाँ बने हैं छप्पर Laatu devta Malli syuni Byasi gairsain old temple people have old home thatch
लाटू देवता मल्ली स्यूणी ट्रैकिंग के लिये सबसे खुबसूरत जगह सड़क से लगभग 15 किमी. की दुरी पर पुरानो ने स्थापित किया था मन्दिर आज भी हर साल जात यात्रा का आयोजन होता है गैरसैण चौखुटिया मार्ग पर स्थित यह भव्य मन्दिरआस्था और विश्वास का प्रतीक ट्रैकिंग के बीच में आज भी दिख जायेंगे केवल लकड़ी और पत्तल से बने घर
लाटू देवता गैरसैंण Latu devta Gairsain
लाटू देवता मल्ली स्यूंणी का यह एतिहासिक मन्दिर जहाँ आज भी लोग पुराने समय का जीवनयापन करते हैं आपको घास – फूस, लकड़ी के बने घर आज भी देखने को मिल जायेंगे यह स्थान पवित्र माना जाता है कहते हैं यह स्थान देवी- देवताओं का स्थान है जहाँ समय के साथ छप्परों की संख्या में तो कमी आयी है परन्तु कहीं न कहीं आज भी यह जीवन जो की पुरानो ने जिया था आज भी जीवित है हमारे द्वारा आपको यहाँ की भौगोलिक परिस्थिति, जीवन, रास्ते एवं मन्दिर से जुडी जानकारी के बारे में बताया जायेगा |
लाटू देवता चमोली सड़क मार्ग Ratu Devta chamoli road trek
- उत्तराखण्ड – चमोली – गैरसैंण – आगरचट्टी – लाटू देवता
- उत्तराखण्ड – अल्मोड़ा – चौखुटिया – आगरचट्टी – लाटू देवता
लाटू देवता गैरसैण का यह मन्दिर उत्तराखण्ड के चमोली जनपद के गैरसैंण ब्लॉक में स्थित है गैरसैंण पहुचने के बाद आपको लगभग 8 किमी. की दुरी गाडी से तय कर आप आगरचट्टी नामक स्थान तक पहुच जायेंगे और फिर ट्रैकिंग यानी की पैदल मार्ग शुरू होता है, पैदल मार्ग तक पहुचने के लिये दुसरा मार्ग अल्मोड़ा जनपद से होते हुये आता है जहाँ की आपको चौखुटिया तक पहुचना होता है इसके बाद आप आसानी से आगरचट्टी तक पहुंच कर पैदल यात्रा शुरू कर सकते हैं |
बेनीताल एक नजर
लाटू देवता पैदल मार्ग Latu Devta way
लाटू देवता के लिये पैदल मार्ग आगरचट्टी से ही शुरू हो जाता है जहाँ से पहले मल्ली स्यूणी तक पहुचना होता होता है और फिर ऊपर के लिये यात्रा शुरू होती है मल्ली स्यूणी सड़क मार्ग से लगभग 3 से 4 किमी की खड़ी ऊचाई पर है यदि आप पहली बाद चढ़ाई कर रहे हैं तो आप पानी और खाना अपने साथ रख लें क्योंकि रास्ता जंगल से होते हुये जाता है जिसकी वजह से आपको खाने के लिये हॉटल नही मिलेंगे, पैदल रास्ता जंगल के बीच से जाता है और यह मन्दिर बेहद ऊचाई पर है जिस वजह से आपको आसपास बहुत से सुन्दर दृश्य देखने को मिलेंगे जिसमे घास के मैदान, ऊची सुन्दर पहाड़ियाँ, सुन्दर वन, छोटे – छोटे पानी के स्रोत इत्यादि साथ ही यहाँ आपको सेल्फी लेने का भरपूर मौका मिलेगा |
छप्पर Thatch
लाटू देवता के मन्दिर मार्ग में छप्पर यानी के घास – फूस, लकड़ी के बने घर, छप्पर को अंग्रेजी में Thatch के नाम से जाना जाता है इनकी खासियत होती है की इन्हें कम समय में किसी अस्थाई स्थान के लिये आसानी से बनाया जाता है पुराने समय में जब लोग जंगलो में रहते थे तब इसी प्रकार के घर जंगलो में बनाते थे इन घरों को बनाने के लिये घास की टहनियों और मोटी लकडियो का इस्तेमाल किया जाता है दरवाजे की जगह डण्डों का इस्तेमाल किया जाता है इस प्रकार के घरो में गाय, भैंस, बकरी पालन आसानी से किया जाता है साथ ही इनमे इंसान भी रहते हैं और गर्मी से बचने में भी ये असरदार होते हैं आज के समय में ऐसे घर बहुत कम देखने को मिलते हैं प्रायः ये हर जंगल की तरफ ही देखने को मिलते हैं जहाँ आज भी लोग जंगली जानवरों का पालन जंगल में रहकर करना पसन्द करते हैं|
लाटू देवता मल्ली स्यूणी Latu devta Malli syuni
लाटू देवता मल्ली स्यूंणी नामक गांव के आराध्य देव हैं जहाँ गाँव में भी लाटू देवता का एक मन्दिर है जिस वजह से लाटू देवता को स्यूंणी मल्ली के नाम से भी पुकारा जाता है, मल्ली स्यूणी नामक गाँव से ही हर वर्ष पूजा का आयोजन लाटू देवता के वास्तविक स्थान पर किया जाता है जिसमे यात्रा का आयोजन पैदल मल्ली स्यूणी से लाटू देवता तक की जाती है इस बीच देवी- देवता अपने पढ़ावो पर रुकते हैं यात्रा वाला मार्ग बेहद खड़ी चढाई वाला है और कहीं पर ढलान है साथ ही आपको जगह-जगह पर पानी के प्राकृतिक स्रोत देखने को मिल जायेंगे जो की नीचे रामगंगा नदी में मिलते हैं|
लाटू देवता का मन्दिर सड़क से लगभग 12 से 15 किमी. की दुरी पर खड़ी चढ़ाई में है मन्दिर पहुचने पर आपको अद्भुत प्राकृतिक शान्ति के साथ एकान्त का अहसास होगा, लाटू देवता का मन्दिर पहाड़ी की चोटी पर है जहाँ से सभी चोटियों को आसानी से देखा जा सकता है यहाँ कोहरा और बरसात दोनों होते रहते हैं जो ऊची चोटियों पर आम बात है |
लाटू देवता मन्दिर प्रांगण Latu devta Temple
लाटू देवता का मन्दिर पत्थरो से निर्मित है कहा जाता है की पहले जब लोग जंगलो में अपने जंगली जानवरों के साथ रहते थे तब यहाँ के देवी-देवता उनकी रक्षा करते थे जिस वजह से यहाँ जंगलो के बीच पुराने समय में मंदिरों का निर्माण किया गया इसके प्रमाण आपको आज भी देखने को मिल जायेंगे जहाँ की आज भी कुछ लोग अपने जंगली जानवरों के साथ छप्पर बना कर जंगलों में ही रहते हैं यहाँ मुख्य मन्दिर के पास ही तीन अन्य मन्दिर हैं जो की लाटू देवता के मन्दिर से निकट ही स्थित हैं:
1. खांकरा महादेव मन्दिर : click here Khanra mahadev
2. नगर कन्डेलाटू देवता मन्दिर : यह मन्दिर से नजदीक ही लगभग 1.5-2 किमी की दुरी पर स्थित मन्दिर है जहाँ पर की वृक्ष के नीचे पौराणिक शिला एवं एक लोहे की धातु से बनी चैन है, यह मन्दिर खुले परिसर में मैदानी भाग में है जहाँ पर पानी के कुछ छोटे छोटे तालाब से बनाये गये हैं जिनमे वर्षा ऋतू में पानी जमा होता है|
3. नागार्जुन देवता मन्दिर : यह मन्दिर लगभग मुख्य मन्दिर से 500 मीटर की दुरी पर पहाड़ी के किनारे पर बना है जहाँ से दूर-दूर तक नजर पहुचती है और बड़ी – बड़ी पहाडियों के आप सुन्दर नजरों का आनन्द ले पायेंगे |
लाटू देवता मन्दिर परिसर के लोग People’s of Latu Devta temple
लाटू देवता Latu devta Malli syuni की जात यानी की यात्रा का आरंभन हर वर्ष मल्ली स्यूंणी नाम के गाँव से होता है जिस वजह से यहाँ मन्दिर परिसर में कार्य करने वाले अधिकतर लोग यहीं के स्थाई निवासी या आसपास के गांवो से आते हैं आसपास के गांवो और क्षेत्रवासियों में मन्दिर से जुडी विशेष आस्था देखने को मिलती है, मन्दिर में कार्य कर रहे लोग कुशल व्यक्तित्व के लोग होते हैं जिनसे हर प्रकार का सहयोग आपको देखने के लिये मिलेगा साथ ही रोचक बात यह है की मन्दिर में जात यात्रा के दौरान मन्दिर की फोटो के साथ बने कैलेन्डर वहां आने वाले लोगो क निःशुल्क बाटे गये इससे लोगो में यात्रा से जुडी एक ख़ास स्मृति बनी रहती है |
Best trekking place in chamoli district
यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो यह स्थान आपके लिये बिलकुल सही है जो की एकदम खड़ी चढ़ाई फिर ढलान और फिर सुन्दर वादियाँ आपका इन्तेजार कर रही हैं|
लाटू देवता गैरसैंण से जुडी बातें Suggestion and information related Latu devta
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एक दिन में पूरा चमोली जिला
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