maha mrityunjay mantra meaning hindi mha mrityunjay mantra story in hindi and full brief information about mha mrityunjay mantra in hindi mhamrityunjay hindi
पूराणों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र से भगवान शिव जल्दि प्रसन्न होते है और मन्त्र जाप करने वाले जातक से मृत्यु भी डरती है। श्रावन मास में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सौ गुणा ज्यादा फल मिलता है।
महामृत्युंजय मंत्र maha mrityunjay mantra
महामृत्युंजय मंत्र भावार्थ maha mrityunjay mantra meaning in hindi
maha mrityunjay mantra हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें!
महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति maha mrityunjay mantra origin
ऋषि मार्कण्डेय नामक ऋषि हुआ करते थे परंतु शादी के बाद भी उन्हें पुत्र प्राप्ति नही हुई जिसकी वजह से ऋषि एवम उनकी पत्नी दुखी रहते थे फिर ऋषि को ध्यान आया जगत के परमेस्वर तो स्वयं शिव है जबकि ऋषि को यह ज्ञात था कि उसके योग में पुत्र नही है पर उन्हें शिव का ज्ञान था कि शिव तो किस्मत को आसानी से बदल सकते है अतः ऋषि ने शिव की आराधना की और शिव से वरदान भी प्राप्त कर लिया और शिव ने उन्होंने पुत्र वरदान भी दिया और साथ में कहा यह पुत्र दुख का भी स्रोत होगा क्युकी इस पुत्र की मृत्यु 12 वर्षो में हो जाएगी जैसे जैसे दिन बढ़ते रहे पुत्र मार्कण्ड की माँ का दुख बढ़ने लगा आखिर एक दिन ऐसा भी आया कि माँ ने पुत्र को अल्पायु होने की बात बता दी।
यह सुन पुत्र से माँ पिता का दुख देखा ना गया और उसने पुनः शिव की अराधना कर विधि के विधान को बदलने का निश्चय कर लिया और फिर महा मृत्युंजय मंत्र की रचना की और मंत्र का जाप करने लगा अराधना करते हुए आखिर वह दिन भी आ गया जब बालक की मृत्यु का समय आ गया ।
मृत्यु समय पर यम दूत आ पहुचे और बालक की बढ़ने लगे यह देख बालक मंत्र का जाप तेज़ तेज़ करने लगा और मंत्र की सकती इतनी प्रबल थी कि यम दुत भी बालक पर हाथ डालने का साहस न कर पाए और वे वापस लौट आये ।
सारा वाकया यम को बता यम ने स्वयं आने का मन बना लिया जब यम बालक को लेने पहुचे तो फिर क्या था बालक फिर जोर जोर से महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने लगा पर यम कहाँ रुकने वाले थे वो बालक की ओर बढ़ने लगे यह देख बालक शिव लिंग पकड़ उससे चिपक गया और यम बालक की ओर बढ़ते गए और जैसे ही बालक को यम ने छुवा स्वयं महादेव प्रकट हो उठे यह देख यम थम से गये शिव ने कहा हे यम ! क्या तुम्हें नजर नही आ रहा बालक अराधना में है यह देकर भी तुम इसे ले जाने का प्रयत्न कैसे कर सकते हो।
और बालक की श्रद्धा देख शिव ने बालक को दीर्घ आयु का वरदान दिया और यम को वापस लौट जाने का आदेश दे दिया।
और शिव ने कहा जो भी संसार मे इस मंत्र का उच्चारण करेगा वह दीर्घ आयु प्राप्त करेगा
तभी से यह मंत्र दीर्घ आयु हेतु उच्चारित किया जाता है।
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धन्यवाद