उत्तराखण्ड में सावन के पहले दिन कैसे ? में मनाया जाता वाला हरेला पर्व हरेला गढ़वाल हरेला गढ़वाल, हरेला उत्तराखण्ड harela uttarakhand celebration hindi
हरेला उत्तराखण्ड का लोकपर्व का अर्थ जानकारी उत्तराखण्ड में कैसे मनाया जाता है हरेला यानी हरिया पर्व सावन के मास में मनाया जाता हरेला पर्व

हरेला उत्तराखण्ड में मनाया जाने वाला लोकपर्व है हरेला का शब्धिक अर्थ यदि स्थानीय गढ़वाली और कुमाउनी भाषा में लिया जाय तो इसका अर्थ है हरियाली, हरेला पर्व प्रकृति, हरियाली और पर्यावरण के लिए अनेक संदेश संजोये उत्तरखण्ड में सभी स्थानों पर मनाया जाता है यह त्यौहार उत्तरखण्ड में सावन मास के प्रथम दिन मनाया जाता है कहा जाता है इस दिन से ही श्रावण मास की शुरुवात उत्तराखण्ड में होती है और उत्तराखण्ड में ही केदारनाथ मंदिर यानी महादेव का निवास स्थान है सावन यानी श्रावण का महीना आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना |
उत्तराखण्ड के कुमाऊ मण्डल में
उत्तराखण्ड में दो मंडल गढ़वाल और कुमाऊ मण्डल है दोनों मण्डल में इस त्यौहार के दिन से 9 दिन पहले 7 प्रकार की फसल बोई जाती है जिसे हरेला पर्व यानी हरियाली पर्व के दिन काटा जाता है और फिर भगवान की पूजा की जाती है | इसे कुछ इस प्रकार भी कहा जा सकता है की सावन के महीने की शुरुवात के साथ भगवान को फसल अर्पित की जाती है और पेड़ लगाकर
हरेला पर्व के दौरान गायी जाने वाली पंक्तियाँ
हरेला पर्व के दौरान कुछ पंक्तियाँ गुनगुनाई जाती हैं जिनमे से कुछ नीचे जोड़ी गयी हैं साथ ही उनका हिंदी में अर्थ भी दिया गया है प्रायः यह पंक्तियाँ कुमाउनी भाषा में हैं जिसे आप यहाँ से सुन सकते हैं सुनने के लिए क्लिक करें
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